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कोलकाता
| हुगली की पश्चिमी तट पर स्थित कई एकड़ जमीन पर फैले इस शान्त स्मारक का निर्माण स्वामी विवेकानन्द द्वारा कराया गया था ।. मुख्य मठ के अलावा, इस मठ में रामकृष्ण मठ एवं मिशन का मुख्यालय तथा कई मंदिर हैं । कोलकाता में सर्वाधिक शान्तिमय प्रार्थनालयों में से एक यहां उपलब्ध है। हावड़ा से ईएमयू गाड़ियों के द्वारा बेलुड़ तक पहुंचा जा सकता है । | बेलुड़ मठ
| हुगली की पश्चिमी तट पर स्थित कई एकड़ जमीन पर फैले इस शान्त स्मारक का निर्माण स्वामी विवेकानन्द द्वारा कराया गया था ।. मुख्य मठ के अलावा, इस मठ में रामकृष्ण मठ एवं मिशन का मुख्यालय तथा कई मंदिर हैं । कोलकाता में सर्वाधिक शान्तिमय प्रार्थनालयों में से एक यहां उपलब्ध है । हावड़ा से ईएमयू गाड़ियों के द्वारा बेलुड़ तक पहुंचा जा सकता है । | दक्षिणेश्वर
| हुगली जिला में स्थित दक्षिणेश्वर को कलकत्ता के उत्तर-पूर्व में गंगा की तट पर निर्मित इसके काली मंदिर के लिए जाना जाता है ।. स्टेशन सियालदह-डानकुनी सेक्शन के अन्तर्गत आता है । टावरों के समूह, अन्य टावरों से अधिक ऊँचाई वाले मध्यवर्ती गुम्बद,दोहरी सतह वाली छत,चारों कोनों में चार गुम्बद, गुम्बदों की प्रत्येक जोड़ी के बीच वक्ररेखी छत के साथ कॉरीडोर वाला यह मंदिर बंगाल की मंदिर स्थापत्यकला का नमूना है । तीर्थ यात्रा के लिए विख्यात यह वह स्थान है जहां प्रसिद्ध आध्यात्मिक व्यक्तित्व एवं स्वामी विवेकानन्द के गुरु श्री श्री रामकृष्ण परमहंस ने माँ काली की पूजा की थी और मंदिर की बगल में स्थित पंचवटी उद्यान में अपनी साधना की थी । | नवद्वीप धाम
नवद्वीप धाम, जो हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, वैष्णव सम्प्रदाय के संस्थापक प्रभु चैतन्य का जन्म स्थान है ,जो भागीरथी एवं जलंगी नदियों के संगम पर अवस्थित है । इस स्थान को बंगाल के वाराणसी के रूप में जाना जाता है । परंपरागत संस्कृत विद्यालयों का केन्द्र, यह स्थान प्राचीन बंगाल की राजधानी रहा है ।
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| तारकेश्वर यह स्थान शिव मंदिर के लिए विख्यात है,जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था । गर्भगृह के सामने चारों तरफ से ड्योढ़ियों वाला यह मंदिर बंगाल के मंदिरों का प्रतीक है । तारकेश्वर, सेवड़फुली-तारकेश्वर सेक्शन में अंतिम स्टेशन है । सोमवार का दिन इसके दर्शन के लिए पवित्र माना जाता है । यहां मनाए जाने वाले उत्सवों में शिवरात्रि तथा चैत्र संक्रांति अथवा बंगला नव वर्ष महत्वपूर्ण हैं । कोलकाता के निकट श्रीरामपुर से सटा तारकेश्वर, सेवड़ाफुली-तारकेश्वर सेक्शन का अंतिम स्टेशन है ।
| मुर्शिदाबाद
| मुर्शिदाबाद रमणीय स्थानों, मस्जिदों तथा स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है । नवाब सिराजुद्दौला के शासन काल में मुर्शिदाबाद बंगाल की राजधानी था । यह स्थान सुन्दर हैण्डलूम सिल्कों तथा हस्तशिल्प के लिए भी सुविख्यात है । हजार दुआरी महल (हजार द्वारों वाला महल) अपनी ऑयल पेन्टिंग,मूर्तियों, प्राचीन झाड़ फानूसों तथा सजावटी सामानों के लिए प्रसिद्ध है । यह स्टेशन सियालदह-लालगोला सेक्शन में अवस्थित है ।
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| शान्तिनिकेतन | नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा इस खुले आकाश वाले विद्यालय शान्तिनिकेतन का शुभारम्भ किया गया । यह प्राच्य शिक्षा एवं संस्कृति का एक केन्द्र है । अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. अमर्त्य सेन ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के लिए विख्यात शान्तिनिकेतन में अपनी आरंभिक शिक्षा प्राप्त की। साहेबगंज लूप में स्थित शान्तिनिकेतन तक ट्रेनों तथा बसों द्वारा पहुंचा जा सकता है । कोई भी व्यक्ति ट्रेन द्वारा बोलपुर तक आ सकता है और शान्तिनिकेतन जाने के लिए रिक्शा अथवा ऑटो रिक्शा किराए पर ले सकता है ।
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| वैद्यनाथधाम
| वैद्यनाथधाम शिव मंदिर के लिए विख्यात है । यह धार्मिक स्थल पूरे वर्ष सम्पूर्ण भारत से लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है । यह स्टेशन,जसीडीह - वैद्यनाथधाम सेक्शन के अंतर्गत आता है । |
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Source : पूर्व रेलवे CMS Team Last Reviewed : 16-02-2023
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